निखर रही ग्रामीण बेटियों की प्रतिभा, 21 विद्यालयों का हुआ प्रधानमंत्री स्वच्छता कोश अंतर्गत चयन
श्रमबिंदु साथी
बक्सर : “संकल्प से सिद्धि” कहने में तो यह शब्द एकबारगी अटपटा सा लगता है लेकिन यह पूरी तरह सत्य है कि सिद्धि तभी मिलती है जब उसके प्राप्ति के लिए गंभीर संकल्प किया गया हो। बक्सर जिला इन दिनों शिक्षा के क्षेत्र में एक सुखद बदलाव से रु-बरु हो रहा है। एक अफसर के संकल्प से जिले के ग्रामीण हल्के में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली बेटियों के प्रतिभा में निखार आ रहा है। वैसी बेटियां जो सिमरी प्रखंड के सरकारी कन्या विद्यालयों में पहले बेमन से स्कूल जाया करती थीं, अब उनमें शिक्षा ग्रहण करने की ललक दिखाई देती है। वे समय समय पर अपने स्कूल में आयोजित होने वाले क्विज़ कांटेस्ट को जीतने के लिए पूरे मिजाज़ से मेहनत करती हैं और विद्यालय के परिवेश में सार्थक बदलाव से बहुत खुश हैं। इन छात्राओं के परिजन भी अपनी लाड़ली बेटियों के शिक्षा के प्रति रूझान से आनंदित हैं।
बच्चियों के जीवन में यह सार्थक बदलाव ऐसे ही नहीं आया है। इस बदलाव के पीछे भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी और वर्तमान में बिहार झारखंड के सीमा शुल्क आयुक्त डॉ० यशोवर्धन पाठक का संकल्प, उनकी कड़ी मेहनत और बृहद सोच छुपी हुई है। अब तक जिले के 21 विद्यालयों को प्रधानमंत्री स्वच्छता फंड से जोड़कर विद्यालयों के परिवेश में सार्थक बदलाव किया गया है। अब जबकि ग्रामीण बेटियां अपने हौसले दिखा रही हैं तो श्री पाठक के संकल्प को सिद्धि की प्राप्ति हो रही है।
नियाज़ीपुर कन्या मध्य विद्यालय से शुरु हुआ सिलसिला पूरे सिमरी प्रखंड, डुमरांव प्रखंड, नावा नगर प्रखंड होते हुए अब बक्सर शहर तक जा पहुंचा है। यशवर्धन जी के प्रयासों से वैसे सभी महिला विद्यालय जहां पहले बाथरूम और शौचालय की सुविधा नहीं थी वहां पर सुविधा उपलब्ध कराई गई। जहां जरूरत पड़ा वहां बेंच डेस्क से लेकर सफाई और रंग रोगन तक जरूरत के हिसाब से सभी कुछ उपलब्ध कराया गया। पहले जीएसटी आयुक्तालय और अब सीमा शुल्क आयुक्तालय द्वारा 21 विद्यालयों को प्रधानमंत्री स्वच्छता योजना से जोड़ते हुए अनेको कार्य कराए गए है। लगभग 5000 से ज्यादा पौधारोपण किया गया है। श्री पाठक के व्यक्तिगत प्रयास से एलएनटी तथा आईटीसी के सीएसआर फंड से नियाजीपुर गांव के कन्या मध्य विद्यालय और महर्षि उपमन्यु उच्च विद्यालय में कार्य करवाया गया है। बेटियों में कंपटीशन की भावना विकसित हो इसके लिए विद्यालय में समय-समय पर क्विज कांटेस्ट का आयोजन लगातार कराया जा रहा है। तथा बच्चों के मोटिवेशन के लिए गिफ्ट आदि भी दिए जाते हैं। जो बेटियां क्विज़ कॉन्टेस्ट में पूछे गए सवालों का जवाब देती हैं। उनके लिए पूरे क्लास से से ताली बजवाई जाती है।
ऐसे में दूसरों के लिए क्विज कांटेस्ट एक उत्प्रेरक का काम करता है। जिला स्तर पर भी क्विज कांटेस्ट करवाए गए हैं।
डॉ पाठक स्वयं भी महीने में एक या दो बार कार्य स्थल पर जाकर अपने द्वारा किए गए कार्यों का निरीक्षण करते हैं और स्कूल में उपस्थित बच्चों से खुद उनकी प्रतिभा उन्नयन को लिटमस टेस्ट की भांति परखते हैं। भारत के ज़ांबिया में राजदूत और UPSC 2002 के ऑल इंडिया टॉपर Alok Ranjan जी Buxar model of education को देखने फ़रवरी में बक्सर के सरकारी स्कूलों का दौरा किया था और उन्होंने इस प्रयास की भूरी भूरी प्रशंसा की थी।
डॉ यशोवर्धन ने जो प्रयास शुरू किया है, निश्चाय ही काबिले तारीफ है। अगर जिले के ग्रामीण इलाकों की 10-20 बेटियां भी डॉ पाठक की दिखाई राह पर चलकर अपने लिए बेहतर मुकाम गढ़ने में कामयाब हो सकीं तो निश्चय ही इससे जिले का नाम रोशन होगा।