अखिल भारतीय
समाचार पत्र प्रकाशक – संपादक
संघ की बैठक में जीएसटी हटाने की मांग
रांची । पूरे देश में समाचार पत्रों के
समक्ष गहराते संकट और मौजूदा
समस्याओं को दूर करने के लिए
नवगठित अखिल भारतीय
समाचार पत्र प्रकाशक – संपादक
संघ की एक आज यहां रांची प्रेस क्लब
में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में
अखबारी कागज (न्यूज प्रिंट) को
पूरी तरह जीएसटी से मुक्त करने
की मांग की गई । संध के प्रवक्ता
अशोक कुमार और कमल किशोर
ने बताया कि इस मांग को लेकर
संघ आगामी फरवरी माह में नई
दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मेलन
आयोजित करेगा और केन्द्र
सरकार से इस समस्या का हल
निकालने का आग्रह करेगा ।
बैठक में उपस्थित बिहार ,
झारखंड, नई दिल्ली समेत विभिन्न
राज्यों के चार दर्जन से अधिक
समाचार पत्रों के प्रकाशकों –
संपादकों ने कहा कि आज देश के
समाचार पत्र कई कठिनाइयों के
दौर से गुजर रहे हैं और इन्हें दूर
करने के लिए संघ निरंतर प्रयास
करेगा । बैठक में लिए गए निर्णय
के अनुसार समाचार पत्र प्रकाशक
– संपादक संघ की ओर से
समाचार पत्रों खासकर अखबारी
कागज (न्यूज प्रिंट) को जीएसटी
से मुक्त करने और प्रिंट मीडिया के
विज्ञापनों पर लगने वाले जीएसटी
को पूरी तरह समाप्त करने के मुद्दे
को प्रमुखता से उठाया जाएगा ।
संघ की बैठक में इस मुद्दे पर
सर्वसम्मति बनी कि यदि अखबारी
कागज (न्यूज प्रिंट ) पर जीएसटी
को तत्काल वापस नहीं लिया जाता
है तब तक प्रसार जांच की नई
पॉलिसी को स्थगित रखने के
साथ-साथ सरकार इसकी समीक्षा
के लिए एक आयोग का गठन करे
और आयोग समाचार पत्रों के
समक्ष सरकार के स्तर पर उत्पन्न
कठिनाइयों को दूर करने के संबंध
में गहन अध्ययन कर एक
प्रतिवेदन केंद्र सरकार को समर्पित
करें । बैठक में प्रकाशकों ने एक
स्वर से कहा कि आज हिंदी समेत
सभी भाषाई अखबारों के समक्ष
अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया
है और इससे लोकतंत्र के चौथे
स्तंभ पर सीधा खतरा दिख रहा है ।
उन्होंने कहा कि यदि देश में बड़े
पैमाने पर समाचार पत्रों के समक्ष
बंदी की स्थिति उत्पन्न हुई तो प्रत्यक्ष
एवं अप्रत्यक्ष रूप से समाचार पत्रों से
जुड़े एक करोड़ परिवार यानि करीब
5 करोड़ लोग प्रभावित तथा
बेरोजगार हो जाएंगे । बेरोजगार होने
वाले में प्रखंड, अनुमंडल, जिला
तथा राज्य स्तर पर कार्यरत पत्रकारों
के अलावा अखबार के वितरण
कार्य में लगे हॉकर तथा एजेंट भी
शामिल होंगे । इससे देश की
अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रभाव
पड़ेगा और पूरे देश के समक्ष
बेरोजगारी को लेकर अलग तरह का
बड़ा संकट उत्पन्न हो जाएगा ।
इसके साथ 6 वर्षों से विज्ञापन दर
को संशोधित करने के मामले को
लंबित रखे जाने के समाधान किए
जाने पर जोर दिया गया । संघ की
ओर से कहा गया है कि अखबारी
कागज, स्याही , मुद्रण में प्रयुक्त होने
वाली अन्य सामग्रियों पर जीएसटी
लागू किए जाने से अखबार प्रकाशन
की लागत में काफी वृद्धि हुई है
जबकि दूसरी ओर डीएवीपी का
विज्ञापन दर पिछले 6 वर्षों से
संशोधित नहीं किया गया है ।
गौरतलब है कि डीएवीपी (अब
केंद्रीय संचार ब्यूरो) की ओर से
प्रत्येक 3 वर्ष पर विज्ञापन दर संशोधित
करने की परंपरा रही है। बैठक में
सर्वसम्मति से आगामी 10 फरवरी को
नई दिल्ली के प्रेस क्लब आॅफ इंडिया
या कांस्टीट्यूशन क्लब में समाचार पत्र
प्रकाशकों – संपादकों का एक सम्मेलन
आयोजित किया जाएगा जिसमें
समाचार पत्र उद्योग की समस्याओं पर
विस्तार से चर्चा होगी।