July 27, 2024 1:09 am

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आखिर हिंदू और सनातन ही सभी का टारगेट क्यों ?

जगह-जगह सनातन धर्म का विरोध किया जा रहा है, सनातन धर्म के विरोधी एकजुट हो रहे हैं और खुलकर सनातन धर्म का विरोध कर रहे हैं। अब समय आ गया है की सनातन धर्मावलंबी भी एकजुट हों और हिंदू धर्म के विरोधियों की जवान खींचने का काम करें। अब हिंदुओं के लिए भी खुल कर बोलने का वक्त आ गया है। जिस तरह से बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, सपा के विवादित नेता स्वामी प्रसाद मौर्य तथा अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एसके स्टालिन के बेटे उदय निधि स्टालिन ने सनातन धर्म का समूल नाश करने की बात कही है। अब ऐसे लोगों को बात से नहीं लात से मार कर जवाब देना चाहिए। मेरा पहले से ही ऐसा मानना है कि जितना खतरा हमें दूसरे धर्म के विरोधियों से है, उसे ज्यादा खतरा हमें हमारे धर्म को मानने वाले ऐसे नाग सर्पों से है। जो खाते तो हमारा है पर, चमचागिरी चमचागिरी दूसरे धर्म के लोगों की करते हैं। ये लोग दूसरे धर्म के लोगों का वोट लेने के चक्कर में ये हमारे धर्म के विरुद्ध कुटील और कपटी बातें करते हैं। ये जीतने भी क्षद्म सेकुलर हैं सभी अपने अपने बाप की दोगली औलादें हैं, यह पैसे के आगे अपना धर्म, अपने संस्कार, अपने बाप दादाओ की बनाई हुई इज्जत, सभी से खेल रहे हैं। ओवैसी को यह चिंता हो रही है की सरकार दलितों पर UCC जबरदस्ती लादने की तैयारी कर रही है। अब बताइए भला क्या आदिवासी हिंदू नहीं है, क्या वह मुसलमान है? एक मुसलमान एक हिंदू का शुभचिंतक कब से हो गया। यह वही ओवैसी है जो हैदराबाद में दलितों पर अपने लोगों द्वारा तमाम अत्याचार करवाता है ।और झारखंड में आकर आदिवासी के हितेषी बन जाता है।

कुछ लोग जो अपने स्वार्थ और सत्ता सुख भोगने के लिए आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग करते हैं। ये ईसाई धर्म परिवर्तित कर चुके आदिवासियों की सरना धर्म में पुनर्वापसी की मांग क्यों नहीं करते?

आखिर हिंदू और सनातन ही सभी का टारगेट क्यों है?

ये इसलिए है क्योंकि आप अपने धर्म के प्रति गंभीर नहीं है। मुसलमान की आबादी देश में लगभग 20% के करीब है लेकिन क्या मजाल कि आप कभी उनके पैगंबर या अल्लाह पर कोई गलत टिप्पणी करके दिखा दे। वह आपको तुरंत सबक सिखा देंगे। “सर तन से जुदा – २ ” आजकल एक बिशेष बिरादरी का तकिया कलाम बना हुआ है। आजकल दलितों की बड़ी चिंता मुसलमान करते हैं। क्योंकि जानते हैं कि हम टूटे हुए हैं हम दलित हैं, हम वैश्य हैं, हम राजपूत हैं, हम ब्राह्मण हैं, हम यादव हैं, लेकिन हम हिंदू नहीं है। मुसलमान भी कई बिरादरी है, सिखों में भी कई बिरादरी है। परंतु यह लोग कहां अपनी जाति को लेकर परेशान है और इनके लिए मजहब के आगे जाती की कोई वैल्यू नहीं है। फिर हम अपनी जाति को इतना महत्व क्यों देते हैं? जो लोग आपको जाती में बांटना चाहते हैं वह लोग अपने स्वार्थ से भरे हुए हैं। वह आपके हितैषी नहीं है, वह आपका बुरा चाहते हैं, यह बातें आपको ध्यान से समझनी पड़ेगी तभी आप इस तरह की विचारधारा के लोगों से मुकाबला कर सकते हैं अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब अपने ही देश में आपको फिर से गुलामी की स्थिति झेलनी पड़ेगी। क्योंकि जिस दिन से देश में हिंदू कम हो गए उस दिन से या तो आपको मुसलमान बनना पड़ेगा या फिर अपने आपको आजाद कहने वालों, आपको अपनी ही धरती पर जिल्लत की जिंदगी जीनी पड़ेगी। मंथन कीजिये, नफ़रत फ़ैलाने वालो के बजाय आप अपनी अंतरात्मा को सुनिये। समस्या तभी तक समस्या है जबतक कि उसके समाधान का प्रयास नहीं किया जाता। संभव है इसका हल भी जरूर निकलेगा।

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