July 27, 2024 1:46 am

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मिली सफलता फिर एक बार, चंद्रमा फतह के बाद, इसरो का सूर्य नमस्कार।

 

PSLV-C57 नें सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया आदित्य L1 सेटरलाइट

श्रीहरिकोटा(आंध्रप्रदेश) :2023 का साल भारत के लिए संभावनाओं के नए द्वार लेकर आया है। अंतरिक्ष ऊर्जा के क्षेत्र में अगर देखे तो एक तरह से यह मिल का पत्थर साबित करने वाला साल रहा है। एक तरफ जहां भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर उतारने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन गया है वरना उसने कई खोज भी की है। चन्द्रमा फतह के महज एक हफ्ते बाद ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का महत्वाकांक्षी सौर मिशन आदित्य-L1 की लांचिंग पूरी तरह से सफल हो गयी है । श्रीहरिकोटा से आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान को लॉन्च व्हीकल PSLV-C57 से सुबह 11:50 बजे लॉन्च किया गया। आदित्य-L1 रियल टाइम में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने के मिशन पर रवाना हुआ है। इस मिशन के जरिये इसरो सौर गतिविधियों और रियल टाइम में अंतरिक्ष के मौसम पर उनके असर को समझने का प्रयास करेगा। आदित्य-L1 मिशन का बजट लगभग 1,000 करोड़ रुपये है। अंतरिक्ष यान को सूर्य का अध्ययन करने के लिए सटीक त्रिज्या तक पहुंचने में लगभग 125 दिन का समय लगेगा। अपने स्थान पर पहुंचने के बाद आदित्य L-1 5 साल तक काम करेगा। बता दें, अंतरिक्ष यान का आकार फ्रीज के समान है और इसका वजन लगभग 1,500 किलोग्राम है।

इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक आदित्य-एल1 पूरी तरह से स्वदेशी मिशन है, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी है.।बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) की विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ पेलोड’ के विकास में अहम भूमिका है, जबकि पुणे के ‘इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स’ ने मिशन के लिए ‘सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड’ तैयार किया है.

आदित्य-एल1, अल्ट्रावॉयलेट पेलोड का इस्तेमाल करके सूरज की सबसे बाहरी परत (कोरोना) और एक्स-रे पेलोड का इस्तेमाल कर सोलर क्रोमोस्फेयर परतों का ऑब्जर्वेशन कर सकता है। पार्टिकल डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर पेलोड Charged Particle के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं.

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