सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय, सोशल मीडिया पर ई-सिगरेट के विज्ञापन और बिक्री पर भी बारीकी से नजर रख रहा है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार जिन 15 वेबसाइटों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें से चार ने इसका परिचालन बंद भी कर दिया है। जिन वेबसाइटों ने नोटिस पर अमल नहीं किया उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। गौरतलब है कि साल 2019 से ही भारत में इसकी बिक्री पर रोक है।
वेबसाइटों को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है, ”हमें अवैध ई-सिगरेट के ऑनलाइन विज्ञापन और बिक्री का पता चला है, जो इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत गैरकानूनी है।”
इससे पहले भी मंत्रालय ने फरवरी में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ई-सिगरेट पर लगे प्रतिबंध का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने की सिफारिश की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा था कि ई-सिगरेट जैसे उपकरणों को सुविधा या स्टेशनरी स्टोरों में बेचे जाने के मामले सामने आए हैं, जिसके परिणामस्वरूप ये उत्पाद बच्चों के लिए आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। इसपर गंभीरता से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (ई-सिगरेट) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जो सिगरेट की ही तरह दिखता है। बच्चों-युवाओं में इसकी पहुंच तेजी से बढ़ रही है। अध्ययनों के मुताबिक यह सेहत के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। युवाओं को इसके जोखिमों से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से सरकार ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था।
भारत ही नहीं थाईलैंड, सिंगापुर, अर्जेंटीना, कंबोडिया सहित करीब 47 देशों में इसकी बिक्री और उपयोग प्रतिबंधित है।
ई-सिगरेट वैसे अभी काफी नया है और वैज्ञानिक अभी भी इसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य दुष्प्रभावों को जानने के लिए अध्ययन कर रहे हैं। अब तक के शोध में पाया गया है कि ई-सिगरेट में निकोटीन होता है जो कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे निकोटीन की लत, किशोरों और वयस्कों के मस्तिष्क के विकास को नुकसान पहुंचाने, गर्भवती और शिशुओं के लिए जोखिम कारक पाया गया है।
ई-सिगरेट जलाने से एरोसोल उत्पादित होता है, जिससे और भी गंभीर स्वास्थ्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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