मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयासों से झारखंड देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और निवेश का आकर्षक केंद्र बनाने की ओर अग्रसर है। झारखंड ने इलेक्ट्रॉनिक वाहन नीति 2022 को राज्य में लागु कर देश के छोटे राज्यों को एक संदेश दिया है।इस के लिए सरकार ने 1 लाख करोड़ रूपए खर्च करना चाहती है। उद्योग से राज्य में 5 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। हेमंत सरकार प्रदेश को इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादक राज्य के रूप में देश के सामने प्रस्तुत करना चाहती है। सरकार का लक्ष्य झारखंड को पूर्वी भारत का ईवी वाहन उत्पादक हब बनने का है। मुख्यमंत्री ने इस तरफ पहल करते हुए इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टाटा, मारुती सुजुकी,ह्यूंदै मोटर और होंडा कार्स को राज्य में निवेश के लिए आमंत्रित किया है। मुख्य मंत्री ने कंपनियों को राज्य में निवेश करने पर हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।सरकार का लक्ष्य 2026 तक राज्य में कुल वाहनों का 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन करने का है। राज्य सरकार ने झारखंड इलेक्ट्रॉनिक वाहन नीति 2022 लागू होने के 2 वर्ष के अंदर इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने वाली कंपनियों को 2 करोड़ रुपये से 30 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी भी देने की बात कही है।
झारखंड के औद्योगिक नगर जमशेदपुर और आस पास के जिलों का स्वरूप भी बदलते हुए देखा जा सकता है। जमशेदपुर अपने पुराने गौरव को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। टाटा समूह ने इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन में रुचि दिखाई है। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जमशेदपुर में देश के पहले हाइड्रोजन ईंधन से जुड़े उद्योग की स्थापना हेतु स्वीकृति प्रदान कर दी है। सरकार के पहल से जमशेदपुर देश का पहला और विश्व का दूसरा स्थान बन जायेगा जहां हाइड्रोजन प्लांट स्थापित होगा। हाइड्रोजन ईंधन प्लांट में हाइड्रोजन इंटर्नल कमबसन इंजन, फ्यूल एगनॉसटिक इंजन एडवांस कैमेस्ट्री बैटरी एच टू फ्यूल सेल और एच टू फ्यूल डिलीवरी सिस्टम बनाया जायेगा। यह प्रोजेक्ट 4000+ हाइड्रोजन आईसी इंजन/ईंधन एग्नोस्टिक इंजन और 10,000+ बैटरी सिस्टम क्षमता वाला है। जिसपर 354.28 करोड़ रु. निवेश होगा।
मुख्यमंत्री के प्रयासों से राज्य के सरायकेला-खरसावां के आदित्यपुर में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (EMC) बनकर तैयार है। इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में यह कलस्टर पूर्वी भारत में निवेश का सबसे बड़ा गेटवे साबित होने वाला है। 29 दिसंबर 2020 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कलस्टर में निर्मित आधारभूत संरचनाओं का उद्घाटन किया था।क्लस्टर एक विशेष औद्योगिक पार्क की तरह है जिसकी कुल लागत 186 करोड़ रूपए है। 82 एकड़ में फैले इस क्लस्टर में 49 एकड़ भूमि इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनाने वाले 51 उद्यमियों के लिए आरक्षित है। अगर कलस्टर की सभी 23 इकाइयां कार्य प्रारम्भ कर देती है तो लगभग 20,000 प्रत्यक्ष व लगभग 25,000 अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा। राज्य में करीब 500 करोड़ रुपए र का निवेश भी सुनिश्चित होगा। जमशेदपुर में लगाए जाने वाले हाइड्रोजन ईंधन उद्योग से भी 300 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।
भारत 2030 तक 450 गीगावाट के नवीकरणीय लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहा है। ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए हाइड्रोजन सहित अन्य विकल्पों की तरफ देखा जा रहा है। ऊर्जा प्रणालियों में डिजिटल नवाचार पर भी जोर हैं। देश बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों के जरिए पर्यावरण और जलवायु संबंधी हितों के प्रति समर्पित है। इस अभियान में देश के छोटे राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। छोटे राज्य निवेश और रोजगार देने के मामले में पीछे नहीं रहना चाहते। झारखंड जैसे राज्य में अवसर और सरकारी प्रयास दोनों ही निवेशकों को सकारात्मक तरीके से आकर्षित कर रहे है। झारखण्ड पूर्वी भारत के राज्यों में अग्रणी भूमिका निभाने को आतुर है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य में निवेश और भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को लेकर संजीदगी से कार्य कर रहे है। पिछले दिनों झारखण्ड देश का पहला राज्य बना था जिसने जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट और विजन 2070 के नेट- जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए टास्क फ़ोर्स गठित किया था। सरकार के इन प्रयासों से राज्य में भविष्य की ऊर्जा जरूरतों में निवेश का मार्ग प्रशस्त होगा ।।