वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला है। पिछले आम चुनाव अप्रैल-मई 2019 में हुए थे। मई 2024 या इससे पहले 18 वीं लोकसभा के सदस्यों का चुनाव करने के लिए निर्धारित है। राजनीतिक दलों ने कवायद शुरू कर दी है। विपक्षी एकजुटता की बात हो रही है। बीजेपी को घेरने की रणनीति तैयार की जा रही है। चुनावी मुद्दों को धार दी जा रही है। हर राजनीतिक दल संभावित उम्मीदवारों को परख रहा है। सर्वे और समीकरण के जरिये जनता का मूड जानने का प्रयास किया जा रहा है। झारखण्ड का चतरा लोक सभा भी इससे अछूता नहीं है। पिछले दो बार (2014/2019) से क्षेत्र का प्रनिधित्व भाजपा से सांसद सुनील कुमार सिंह कर रहे है। सांसद सुनील सिंह तीसरी बार भी भाजपा के निशान पर चुनाव लड़ेंगे इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे है। सांसद का क्षेत्र को समय कम देना और कार्यकर्ताओं से दुरी उनके प्रत्याशी बनने की राह में रोड़ा बन रहा है वहीँ सांसद के समर्थकों का कहना है कि सांसद द्वारा संसद में क्षेत्र की समस्याओं को मजबूती से उठाया गया है जिसका परिणाम है कि गया -चतरा रेल लाइन परियोजना को मंजूरी और चार से ज्यादा कोल परियोजनाओं को चालू किया गया है।
आगामी लोक सभा चुनाव के समीकरण और विपक्षी दलों की एकता को देखते हुए भाजपा इस बार कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। पार्टी ने आतंरिक सर्वे और स्थानीय नेताओं की राय को प्रत्याशी चयन में महत्व देने का मन बनाया है। मीडिया में आयी ख़बरों की चर्चा करें तो इस बार भाजपा अपने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को लोकसभा चुनाव लड़ने का आदेश दे सकती है। इसी कड़ी में चतरा से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को प्रत्याशी बनाये जाने की चर्चा है। पिछले दिनों चतरा आकर जिला भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए रघुवर दास ने कार्यकर्ताओं से चुनाव में लग जाने की अपील किया।चुनावी मोड में दिए गए उनके भाषण से कार्यकर्ताओं में सन्देश गया और चर्चा को बल मिला।
इधर चतरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए रांची के दो प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ अभिषेक राम दिन और डॉ. अभिषेक कुमार सिंह भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। डॉ. अभिषेक सिंह पीछे एक वर्ष से लातेहार और चतरा जिले के गांव गांव में फ्री हेल्थ कैम्प लगाकर स्वास्थ्य सुविधा को चुनावी मुद्दा बनाना चाहते है। डॉ. अभिषेक सिंह आरोग्य भारती से जुड़े हुए है। आरोग्य भारती से जुड़े स्वयंसेवकों का सहारा लेकर कैंप का आयोजन कर रहे है। इनकी पूरी टीम पीछे 2 वर्षो से चतरा संसदीय क्षेत्र में लोगों की राय जानने और सोशल मीडिया के जरिये मतदाताओं को जागरूक करने का कार्य कर रही है। इन दोनों चिकित्सकों पर विपक्षी दलों की भी नजर है।
इधर पूर्व पार्षद और भाजपा नेता प्रवीण सिंह भी सक्रियता के साथ जिले के सीमावर्ती गांव में जाकर जान संपर्क कर रहे हैं और चुनावी संभावना तलाश रहे है। प्रवीण सिंह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के नजदीकी माने जाते है।
चतरा से विपक्षी दलों से कौन संभावित प्रत्याशी होगा इसको लेकर संशय बरक़रार है। कांग्रेस से राज्य सभा संसद धीरज साहू पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में काफी सक्रिय है और सोशल मीडिया के माध्यम से चतरा से प्रत्याशी बनाये जाने को लेकर राय शुमारी कर रहे है।
वहीँ राज्य सरकार में श्रम और नियोजन मंत्री सत्यानंद भोगता को भी विपक्ष का डार्क हॉर्स माना जा रहा है। सत्यानंद का लंबा राजनीतिक अनुभव और पुरे संसदीय क्षेत्र में अपनी अलग पहचान होना उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। स्थानीय को प्रत्याशी बनाए जाने की लम्बी मांग भी मंत्री भोगता के पक्ष में जा सकती है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनकी नजदीकी जगजाहिर है।