रांची : बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा (बीआईटी मेसरा) टीम ‘क्रायोविज़ार्ड्स ने वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन ज्योलॉजी, देहरादून के सहयोग से हिमाशील्ड 2024 में पहले रनरअप का खिताब हासिल किया। इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता का आयोजन भारतीय हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट बाढ़ की समस्या को हल करने के लिए किया गया था।
टीम में एम-टेक के छात्र सुदीप बैनर्जी, सुनील महातो, पीएचडी स्कॉलर निकिता रॉय मुखर्जी (बीआईटी मेसरा) और सौरभ आनंद (डब्ल्यूआईएचजी, देहरादून) शामिल थे, जिनके इनोवेशन को रु 3 लाख के नकद पुरस्कार, सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया, साथ ही उन्हें फील्ड-डिप्लॉयेबल सोल्युशन विकसित करने के लिए स्टार्ट-अप इन्क्युबेशन
सपोर्ट भी दिया गया।
सीडीएसी थिरूवनंतपुरम द्वारा विद्युत एवं सूचना प्रोद्यौगिकी मंत्रालय के तहत आयोजित इस चैलेंज में 151 टीमों ने हिस्सा लिया, जिनमें से केवल सात टीमें ग्राण्ड फिनाले तक पहुंचीं। ग्राण्ड फिनाले का आयोजन 28 फरवरी 2025 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर किया गया था। क्रायोविज़ार्ड्स बन्नारी अम्मान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तमिलनाडु के बाद दूसरे स्थान पर रही, जबकि बन्नारी ने पहला पुरस्कार अपने नाम किया।
हिमाशील्ड-2024 के मंच पर वैज्ञानिक, ओद्यौगिक विशेषज्ञ एवं अकादमिक जगत के दिग्गज एकजुट हुए।
बीआईटी मेसरा की सफलता वास्तविक दुनिया में जलवायु संबंधी चुनौतियों को हल करने में आधुनिक अनुसंधान और इनोवेशन के लिए इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
