रांची : झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी तथा बाबा नगरी के नाम से प्रसिद्ध देवघर जिले की तीन सीटों में दो पर इस समय भाजपा और एक पर झामुमो का कब्जा है। इस बार इंडिया गठबंधन द्वारा मधुपुर के अलावा देवघर और सारठ सीट पर कब्जा करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है।
वहीं एनडीए भी मधुपुर सीट पर कब्ज़ा करने के लिए बैचेन है।
देवघर में बीजेपी के नारायण दास और आरजेडी के सुरेश पासवान के बीच टक्कर
बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर में भाजपा के वर्तमान विधायक नारायण दास से यह सीट छिनने के लिए इंडिया गठबंधन में शामिल राजद ने पूर्व विधायक सुरेश पासवान को एक बार फिर चुनावी जंग में उतारा है। हालांकि पिछले दस वर्षों से इस सीट पर भाजपा के टिकट पर विधायक नारायण दास का कब्जा है। राजद के सुरेश पासवान पूर्व में 2000 और 2009 में दो बार इस क्षेत्र से विधायक चुने जा चुके हैं। इस बार राजद के सुरेश पासवान के माथे पर जीत का सेहरा बांधने राजद के वरिष्ठ नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित इंडिया गठबंधन के कई प्रमुख नेता इस क्षेत्र की जनता की नब्ज को टटोल चुके हैं।
सारठ में गुरु-शिष्य एक दूसरे पर चला रहे धोबिया पछाड़ दांव
देवघर जिले के सारठ विधानसभा सीट पर भी भाजपा और झामुमो के बीच कांटे की सीधी टक्कर होने की उम्मीद है। सारठ विधानसभा क्षेत्र में इस बार गुरु और शिष्य के बीच मुकाबले में रोमांचक मोड़ दिखाई दे रहा है। वर्ष 2014 से लगातार विधायक चुने जाते रहे पूर्व मंत्री भाजपा प्रत्याशी रणधीर सिंह के खिलाफ झामुमो ने उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह को इस बार अपना योद्धा बनाया है। राजनीतिक के स्थानीय लोगों की मानें तो भाजपा के रणधीर सिंह कभी उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह के शिष्य रह चुके हैं और उनके सानिध्य में ही उन्होंने राजनीति की चालें सीखी। इसलिए इस बार इस क्षेत्र दो दिग्गजों के बीच कांटे की टक्कर होने के आसार दिख रहे हैं। अपनी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए दोनों उम्मीदवारों ने फ़ील्ड में बहुत पसीना बहाया है।
मधुपुर में हफीजुल अंसारी और गंगा नारायण के बीच सीधा मुकाबला
वहीं मधुपुर सीट पर पूर्व मंत्री और दो बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके राज पलिवार को दरकिनार कर गंगा नारायण सिंह पर भरोसा जताया है। वहीं मंत्री हफीजुल अंसारी 2021 में पिता हाजी हुसैन अंसारी के कोराना से निधन के बाद कराये गये उपचुनाव में पहली बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गए और मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जबकि भाजपा ने पिछला उपचुनाव में झामुमो से परास्त हो चुके गंगा नारायण सिंह को एक बार फिर मैदान में उतारा है। हालांकि जेएलकेएम ने भी अल्पसंख्यक समुदाय के सद्दाम अंसारी को मैदान में उतार कर झामुमो, कांग्रेस और भाजपा के वोटरों को लुभाने के साथ ही तीसरा कोण बनाने का प्रयास कर रहे हैं।”