संतोष पाठक
देवघर :
बुंदेले हरबोलों के मुख, हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झांसी वाली रानी थी।।
सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई कविता प्रसंग वस मेरे जेहन में आ गई।
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 का परिणाम चाहे जो भी हो, कोई हारे, कोई जीते? परंतु भविष्य में जब भी इस महासंघर्ष की पटकथा लिखी जाएगी तो उसमें अगर किसी के संघर्ष को सबसे ज्यादा तरजीह मिलेगी तो, वह है झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्टार प्रचारक कल्पना मुर्मू सोरेन।
एक ऐसी महिला जिसका कभी राजनीति से सीधा पाला नहीं पड़ा था । हालांकि वह झारखंड के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की सदस्य जरूर थीं, लेकिन वह अपने पति और बच्चों के सेवा में ही मगन थीं। अचानक उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पति मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा। बड़ी जेठानी नाराज होकर विपक्ष की गोद में जा बैठी। मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को बनाया गया। किंतु उनके नेतृत्व में वह धार नहीं थी जो हेमंत के नेतृत्व में दिखाई देती थी। लोकसभा चुनाव माथे पर था और महज 8-9 महीने के बाद विधानसभा चुनाव भी होने थे। ऐसे में धीरे-धीरे इन बातों का असर पूरी पार्टी पर पडने लगा। विपक्ष का जोरदार आक्रमण और सामने पार्टी नेतृत्व का गंभीर संकट। बड़ी ही दुरूह और विपरीत परिस्थिति थी। पार्टी के अंदर बगावत के इक्के दुक्के स्वर भी उठने लगे थे। अचानक राजनीतिक बवंडर से अंधेरा छंटा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए आशा की एक नई किरण उदित हुई। वह किरण थी “कल्पना” जी हां।
हेमंत की “कल्पना”
गिरिडीह से अपने राजनीतिक पदार्पण की पहली सभा में ही कल्पना मुर्मू सोरेन ने अपने आंसुओं से ऐसा समां बांधा कि अपने पति की जेल यात्रा को सहानुभूति की लहर में बदल दिया और आदिवासियों के मन मानस पर पूरी तरह छा गई। वो विजनर वूमेन जो “नहीं झुकेगा झारखंड” का नारा देकर ख़ुद को “झारखंडी अस्मिता का रक्षक” साबित करने में कामयाब रही। नतीजा वो ख़ुद तो गांडेय विधानसभा उपचुनाव जीती ही, 2024 लोकसभा चुनाव में सभी रिजर्व पांच सीटों पर इंडी गठबंधन को जीत दिलाया। 2019 में 12 सीटों पर जीतने वाले एनडीए को 8 सीटों पर ढकेल दिया।
यह तो शुरुआत थी खामोशी के चिंगारी में तब्दील होने की। झारखंड मुक्ति मोर्चा पर अचानक आई विपत्ति ने पार्टी को कल्पना सोरेन के रूप में एक अमूल्य संपत्ति दी है। विधानसभा चुनाव में अगर इंडी गठबंधन की तरफ से उम्मीदवारों द्वारा किसी स्टार प्रचारक की सबसे ज्यादा डिमांड की जा रही है तो वह है कल्पना मुर्मू सोरेन की। और यह “मर्दानी” सभा दर सभा एनडीए के शूरमाओं के छक्के छुड़ा रही हैं।