November 21, 2024 3:12 am

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मिशन गगनयान’ में इस्तेमाल होने वाले क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण संपन्न

नई दिल्ली( एजेन्सी ) : 2023 का साल भारत के लिए संभावनाओं के नए द्वार लेकर आया है। अंतरिक्ष ऊर्जा के क्षेत्र में अगर देखे तो एक तरह से देश के लिए यह मिल का पत्थर साबित करने वाला साल रहा है। एक तरफ जहां भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर उतारने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन गया है वरना उसने कई खोज भी की है. भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक और खुशखबरी मिली है ,
महेंद्रगिरि में स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के तरल प्रणोदन अनुसंधान केंद्र (आईपीआरसी) ने अपने महेंद्रगिरि में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के तरल प्रणोदन अनुसंधान केंद्र (आईपीआरसी) ने अपने ‘मिशन गगनयान’ में इस्तेमाल होने वाले क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। जैसा कि इसरो को 2024 में मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने और 400 किमी की कक्षा में तीन दिनों तक रहने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर वापस लाने के लिए अपने ‘मिशन गगनयान’ में सीई – 20 क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करना है, किया है। जैसा कि इसरो को 2024 में मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने और 400 किमी की कक्षा में तीन दिनों तक रहने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर वापस लाने के लिए अपने ‘मिशन गगनयान’ में सीई – 20 क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग होना है,
चूंकि क्रायोजेनिक इंजन सीई-20 का इस्तेमाल लॉन्च व्हीकल मार्क-3 के ऊपरी चरण में किया जाना है, इसलिए आईपीआरसी में इसका 720 सेकेंड तक परीक्षण किया गया।

आईपीआरसी के सूत्रों ने कहा, “इंजन की क्षमता, जोर, सहनशक्ति, गर्मी प्रतिरोध आदि की पुष्टि करने के लिए किया गया परीक्षण सफ़ल रहा और हमें सभी वांछित और अपेक्षित परिणाम मिले हैं।

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