श्रमबिंदु डेस्क
न सत्तापक्ष, न बिपक्ष, हाथी चलेगी अपनी चाल मस्त, बहन मायावती ने 2024 की सत्ता संघर्ष के लिए बने गठबंधनों से अपने आप को मुक्त करते हुए अपनी राह चलने का फैसला ले लिया है। मायावती जी अच्छी तरह जानती है कि उनके वोटर उनका चेहरा देखकर उनको वोट देते हैं। सपा और अन्य दलों के साथ पूर्व में किए गए गठबंधन का हश्र से सबक लेते हुए उन्होंने ये फैसला लिया है.
इस तरह बसपा ने एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन से अपना मोह छुड़ा लिया है। मायावती ने दोनों गठबंधनो को नकारा बताते हुए इन्हें आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ बताया है।
अकेले चुनाव लड़ने के अपने फायदे है। अगर चुनाव के उपरांत अगर किसी कारणवश एनडीए की सीटें कम हुई और बसपा अपने बल पर 20 या इससे अधिक सांसदों की संख्या प्राप्त कर लेती है तो सरकार बनवाने में उनकी बड़ी भूमिका हो सकती है।