October 17, 2024 10:47 pm

फॉलो करें

चंद्रयान-3 के लैंडिंग पॉइंट के नामकरण पर बिपक्ष की आपत्ति, बीजेपी का तगड़ा जबाब

नई दिल्ली ) : देश की राजनीति भी अजीब है, यहां हर बात पर तिल को ताड़ बनाने का रिवाज है. प्रधानमंत्री जी ने बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन(इसरो) के वैज्ञानिकों को सम्मान देते हुए चंद्रयान-3 के लैंडिंग पॉइंट को शिव शक्ति नाम क्या रख दिया उस पर राजनीति शुरू हो गयी। इस … Read more

झारखण्ड के चार लोक सभा सीटों पर चिकित्सकों की नजर

  किसी भी देश में बुद्धिजीवी वर्ग सबसे अनोखा और प्रतिभाशाली वर्ग होता है। सार्वजनिक क्षेत्र में जनता की रक्षा की प्रथम पंक्ति बौद्धिक वर्ग को माना जाता है। सत्ता धारी दल अपने लोक व्यवहार के लिए इस वर्ग से सलाह, परामर्श और नेतृत्व लेता रहता है। हमारे देश में प्रोफेसर, डॉक्टर, एडवोकेट, राइटर, आर्टिस्ट … Read more

12वीं के बाद कृषि क्षेत्र में हैं कॅरियर के कई मौके

  किसी देश की अर्थव्यवस्था का आंकलन उस देश की खेती-किसानी की स्थिति से होता है। देश की 70% जनसंख्या तो रोजगार के क्षेत्र में खेती-किसानी से ही जुड़ी है। कृषि में भी आधुनिकता आई है, नवीन तकनीकों का प्रसार हुआ है। इन सब के बावजूद भी आज इस क्षेत्र में युवा शक्ति की कमी … Read more

एजुटेच शिक्षा अवसर या भविष्य की चुनौती

पढ़ाई लिखाई में आज तकनीक का बोलबाला है। शिक्षक अपने शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न साधनों की मदद लेता है वही विद्यार्थी कॉन्सेप्ट्स क्लियर करने और उम्दा नोट्स के लिए कई ऑन लाईन  माध्यमों से घिरा रहता है। शिक्षण और उपागम को प्रभावित करने वाले ये साधन एजुटेच टेक और शिक्षण प्राद्यौगिकी के नाम से जाने जाते है। मूल रूप से इनके  दो कार्य  है  शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति और शिक्षण कार्य का यंत्रीकरण। पिछले एक दशक में एजुटेच बाजार और ग्राहक बनाने में सफल रही है। एजुटेच स्टार्टअप्स का कारोबार अरबों रूपए का हो गया है। एजुटेच ऐप से भरे मोबाइल फ़ोन अब शिक्षा प्रयाय बन चुके हैं।

सस्ती इंटरनेट सेवा ने इसे और बढ़ावा दिया है। एक अनुमान के मुताबिक अगले पच्चीस वर्षों में सौ करोड़ विद्यार्थी स्नातक होंगे। 2040 तक इंटरनेट सुविधाप्राप्तकर्ता संख्या डेढ़ अरब को पार कर जाएगी। पिछले दस वर्षों में स्मार्ट फ़ोन की कीमत में काफी गिरावट आयी है। वैश्विक स्तर पर भारत एक ऐसा देश है जहाँ मोबाइल इंटरनेट की दरें सबसे सस्ती हैं।

सरकारें भी इस प्रकार की शिक्षा को प्रोत्साहित करने में पीछे नहीं हैं।  देश में नेशनल एजुकेशन आर्किटेक्चर बनाया गया है। पीएम ई -विद्या कार्यक्रम 2020 के तहत ई – शिक्षा को आसान बनाने के लिए विद्यालय स्तर  पर इसकी शुरुवात की गयी है। ई शिक्षा का लाभ 25 करोड़ स्कूली छात्रों को और 4 करोड़ उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को मिलना है। ई पाठशाला पोर्टल,स्वयंप्रभा और दीक्षा जैसे कार्यक्रम ऑनलाइन शिक्षा को आगे ले जाने का कार्य कर रहे है।  केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने आईआईटी के सहयोग से स्वयं और मूक्स पोर्टल  कोर्स करने और सरदित प्राप्त करने का अवसर छात्रों को दिया है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि ई लर्निंग के अपने फायदे है और यह पढ़ाई का एक सरल और सुगम माध्यम है। तकनिकी जुड़ाव ने पढ़ाई को रोचक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन इसके अपने नुकसान भी हैं। तकनीक के मनोवैज्ञानिक चोट को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

मोबाइल और लैपटॉप के सहारे लगातार काम करने से काम उम्र में ही बच्चों को आँखों में दर्द, नजर का कमजोर होना, पीठ और कन्धों में दर्द की शिकायत देखने को मिल रही है। नवजातों में एडीएचडी और  ऑटिस्म के लक्षण के पीछे मोबाइल बहुत बड़ा कारक माना जाता है।

एक सर्वे के अनुसार भारत के 33 प्रतिशत माता पिता इस बात को लेकर चिंतित है की ऑनलाइन सीखने की तकनीक ने बच्चों के सीखने और प्रतियोगी लक्षणों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। तकनीक के आदि होकर बच्चे कब उसके ग्राहक हो गए यह समझते समझते काफी देर हो चुकी होती है। विद्याथियों में अवसाद और तनाव के साथ भटकाव के मामले बढ़ें हैं। इससे इंकार नहीं किय अजा सकता कि जिस तेजी से एजुटेच टेक का प्रसार हो रहा है यह भविष्य में संघर्ष और चुनौती के रूम में सामने होगा।

 

 

 

रांची : उच्च शिक्षा के लिए एक पसंदीदा गंतव्य

रांची, पूर्वी भारत में एक शिक्षा केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है। राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के संस्थान IIM ,ISM, XLRI, CUJ, NUSRL, JRSU एवं कई निजी विश्वविद्यालय बाहर के छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं। COVID-19 के बदले हुए परिदृश्य में जब छात्र  दूसरे राज्यों  में पढ़ने जाने की जगह अपने होम टाउन और स्टेट में रहकर पढ़ना ज्यादा पसंद कर रहे हैं, रांची शहर उच्च शिक्षा के  लिए  छात्रों का पसंदीदा स्थान बन गया है।

रांची में पढ़ने और इसके प्रति बड़ी संख्या में छात्रों के आकर्षित करने का मुख्य कारण यह है कि यह शहर केंद्र, राज्य और निजी तौर पर संचालित कई शैक्षणिक संस्थानों से भरा हुआ है। शहर में 8 निजी विश्वविद्यालय, 4 राज्य विश्वविद्यालय,1 केंद्रीय विश्वविद्यालय,1 नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के अलावा केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (CIP), झारखण्ड टेक्निकल यूनिवर्सिटी, ट्रिपल आईटी स्थापित हैं, जो सामान्य, पेशेवर और तकनीकी धाराओं में व्यापक पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।

राँची को झरनों का शहर भी कहा जाता है। पहले जब यह बिहार राज्य का भाग था तब गर्मियों में अपने अपेक्षाकृत ठंडे मौसम के कारण प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी। राँची एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र भी है। जहाँ मुख्य रूप से HEC,SAIL,और MECON के कारखाने हैं, वहीं निजी क्षेत्र में Usha Martin, Hindalco जैसे औद्योगिक प्रतिष्ठान भी हैं।

राँची को स्मार्ट सिटीज मिशन के अन्तर्गत विकसित किये जाने वाले सौ भारतीय शहरों में से एक के रूप में चुना गया है। राँची भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का गृहनगर होने के

नाते इस शहर अपनी अलग पहचान बना चूका है। शिक्षा और अच्छे जीवन के मामले के अलावा मेजबान के रूप में रांची अतुलनीय हैं। नेशनल गेम्स की बात करें या इंटरनेशनल क्रिकेट मैच की मेजबानी की बात करे यह शहर हर बार खरा उतरा है।

प्रकृति ने अपने सौंदर्य इसपर खुलकर लुटाया है। प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा राँची ने अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के दम पर विश्व के पर्यटक मानचित्र पर भी पुख्ता पहचान बनाई है। मौसम की बात करें तो ग्रीष्मकालीन तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से लेकर 42 डिग्री तक, सर्दियों के तापमान 0 डिग्री से 25 डिग्री तक हो सकते हैं। रांची से 40 किलोमीटर की दुरी पर मिनी लन्दन के नाम से मशहूर मैकलुस्कीगंज है जो एंग्लो इंडियन समुदाय का शहर के नाम से जाना जाता है।

कोविड के बाद के परिदृश्य में जब छात्र विदेश जाने के बजाय स्थानीय संस्थानों को तरजीह देने लगे हैं, उच्च शिक्षा का दृश्य और अधिक आकर्षक हो गया है झारखण्ड में AIIMS, NIFT, IIM, BIT, XISS जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शिक्षा और अनुसंधान के अवसरों, वैश्विक संकायों और आकर्षक बुनियादी ढांचे  छात्रों को आकर्षित करते  है।

 

 

  लोक सभा चुनाव 2024: चतरा का चुनावी दंगल

  वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला है। पिछले आम चुनाव अप्रैल-मई 2019 में हुए थे। मई 2024 या इससे पहले 18 वीं लोकसभा के सदस्यों का चुनाव करने के लिए निर्धारित है। राजनीतिक दलों ने कवायद शुरू कर दी है। विपक्षी एकजुटता की बात हो रही है। बीजेपी को … Read more

डुमरी में गरजे सुदेश कहा उपचुनाव राज्य की दशा बदलेगा

 डुमरी उपचुनाव में  सरगर्मी तेज है।  सभी राजनीतिक दलों ने  प्रचार पर अपना पूरा जोर लगा दिया है। सभावों का दौर जारी है।  एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में  भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी समेत कई बड़े नेता प्रचार कर चुके हैं।   गुरुवार को  डुमरी के ख़ुदीसार में एनडीए प्रत्याशी यशोदा देवी के पक्ष … Read more

    10 वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षा अब साल में दो बार होगी

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत किए जा रहे बदलावों को लेकर एक बड़ा फैसला आया है। वर्ष 2024 से बोर्ड एग्जाम साल में दो बार कराए जाएंगे। यह फैसला शिक्षा मंत्रालय द्वारा लिया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 23 अगस्त को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि ” NEP 2020 के तहत बनाया जा रहा नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार है। 2024 के एकडैमिक साल के लिए किताबें भी तैयार की जा रही हैं। नए पैटर्न के अनुसार 2024 से बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित किया जायेगा।

मंत्रालय का यह  फैसला परीक्षा  के प्रेशर को कम करने के लिए लिया गया  है। छात्रों के पास अब एग्जाम की तैयारी के लिए ज्यादा मौका होगा।  नए बदलाव  के अनुसार  छात्र  उस वक्त  परीक्षा दे सकते हैं जब उन्हें लगे कि वो उस सब्जेक्ट के लिए तैयार हैं।  इतना ही नहीं अब छात्र दो बोर्ड एग्जाम में स्कोर किए गए अपने बेस्ट स्कोर को दिखा सकेंगे।  मंत्रालय की ओर से कहा गया कि देश के स्कूलों को उचित समय में ‘ऑन डिमांड’ परीक्षा कराने की क्षमता विकसित करनी होगी।

NEP 2020 के तहत छात्रों को अब दो भाषाएं पढ़नी होंगी। जिसमें से एक भारतीय भाषा होगी। ऐसा भारत की सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। छात्रों को क्लास 11वीं और 12वीं में ये दो भाषाएं पढ़नी होंगी। नए पाठ्यक्रम के तहत छात्रों को उनकी समझ और योग्यता के आधार पर परखा जाएगा, न कि कोचिंग और किसी सब्जेक्ट को रटने के आधार पर। इसके अलावा छात्रों में प्रैक्टिकल स्किल्स भी विकसित करने पर जोर रहेगा।

कला, विज्ञान और वाणिज्य का रुकावट हुआ दूर: 

एनसीएफ के तहत छात्रों के पास अलग-अलग सब्जेक्ट चुनने की आजादी होगी।  कला, विज्ञान,  वाणिज्य संकाय में  किसी भी छात्र को उसी संकाय  के विषय  लेने के लिए मजबूर नहीं किया जायेगा।  करेगी। यानि  अगर कला का विद्यर्थी  गणित और भौतिकी   पढ़ना चाहता है तो वो यह विषय पढ़ सकता है। इसके  साथी ही विज्ञानं के  छात्र वाणिज्य और अर्थशास्त्र  जैसे विषय पढ़ सकते हैं। शिक्षा की पहुँच सभी तक सुलभ हो इसके लिए शिक्षा मंत्रालय  ने स्कूल में इस्तेमाल की जाने वाली किताबों के दामों को कम करने पर भी  गंभीरता के साथ विचार प्रारंभ किया है।

 

      उच्च शिक्षा में चरित्र निर्माण पाठ्यक्रम : पंचकोश कोश अवधारणा

  चरित्र का निर्माण शिक्षा का आवश्यक अंग है। चरित्र-निर्माण से व्यक्तित्व का विकास होता है। चरित्र का निर्माण जन्म से ही आरम्भ हो जाता है। पहले मूल प्रवृत्यात्मक व्यवहार चरित्र-निर्माण में होती है। कालान्तर में अर्जित की गई अच्छी तथा बुरी आदतों के द्वारा चरित्र एक निश्चित रूप लेने लगता है। “चरित्र की शिक्षा, ईमानदारी, … Read more