22 जुलाई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बड़े उत्साह के साथ मुख्यमंत्री सारथि योजना की शुरुवात राज्य के 80 प्रखंडों में किया। विश्व कौशल दिवस के अवसर पर राज्य के युवाओं को मुफ्त में कौशल आधारित प्रशिक्षण देकर रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने का कार्य प्रारंभ किया गया है। आने वाले समय में राज्य के सभी प्रखंडों में यह योजना प्रारंभ होगी। योजना के अंतर्गत युवाओं को प्रशिक्षण मिलने के 3 महीने के अंदर नियोजित नहीं होने की स्थिति में उनका आत्मविश्वास बनाये रखने के लिए रोजगार प्रोत्साहन भत्ता दिया जाएगा। रोजगार प्रोत्साहन भत्ता के रूप में युवकों को 1000/- और युवतियों/दिव्यांग को प्रतिमाह 1500 रूपये अधिकतम एक वर्ष के लिए डीबीटी के माध्यम से दिए जाएंगे। रोजगार प्रोत्साहन भत्ता के रूप में युवकों को 1000/- और युवतियों/दिव्यांग को प्रतिमाह 1500 रूपये अधिकतम एक वर्ष के लिए डीबीटी के माध्यम से दिया जायेगा। इस योजना के माध्यम से छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करेंगे, कोचिंग प्राप्त करेंगे।
सरकार के इस महत्वपूर्ण योजना को श्रम नियोजन प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग के द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस विभाग के मंत्री है सत्यानंद भोक्ता। भोक्ता राजद के विधायक और सरकार में मंत्री है। झारखंड के अनुभवी नेताओं में गिने जाते हैं। पूर्वर्ती सरकारों में पेयजल और कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभालने का अनुभव रखते हैं। उनके संसदीय और प्रशासनिक अनुभवों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
हेमंत सरकार बेरोजगारी, रोजगार,स्थानीयता और नियोजन नीति जैसे मुद्दे को लेकर सत्ता में आयी थी। चुनाव के दौरान युवाओं का भरपूर सहयोग भी मिला था। सरकार बनने के कुछ महीनों बाद पहले कोरोना महामारी, फिर उपचुनाव और राजनीतिक और क़ानूनी जकड़नों के कारण सरकार युवाओं के उम्मीदों के अनुसार अवसर और उम्मीदें जगा पाने में विफल साबित हो रही है ।
वहीं दूसरी तरफ़ मंत्री सत्यानंद ने अपने विभाग के जरिये सरकार का इकबाल बुलंद करने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री के संकटमोचक और जिम्मेदारियों पर खरे भी साबित हुए हैं। सरकार के सबसे छोटे सहयोगी दल से होने के बावजूद हर जगह उनकी उपस्थिति काफी कुछ बयां करती है। श्रम और रोजगार विभाग के जरिए मंत्री भोक्ता ने सरकार की छवि बदलने में कोई कोताही नहीं बरती है। उनके प्रयत्नों से युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए नियमित रोजगार मेले का आयोजन, बंधुआ मजदूरों का पुनर्वास, मॉडल कैरियर सेंटर, नियोजनालयों में पुस्तकालय की स्थापना, आईटीआई कॉलेजों का उन्नयन, आम आदमी बीमा योजना में लाभ ,प्रवासी मजदूरों को सहायता, प्रवासी मजदूरों के लिए हेल्प लाइन और ऐप की सुविधा देने का कार्य किया गया है । कोरोना काल के दौरान श्रम नियोजन- प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग सरकार के लिए स्वास्थ्य चिकित्सा के बाद सबसे महत्वपूर्ण विभाग साबित हुआ।
कोरोना के दौरान राज्य में 6 लाख से ज्यादा मजदूर घर लौटे।इनके लाने और लेजाने की सुविधा का सवाल रहा हो या इन्हें घर में कौशल कार्यों से जोड़ने की बात हो। श्रम विभाग की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। सत्यानंद भोक्ता ने राज्य के आईटीआई और पॉलिटेक्निक कॉलेजों के निर्माण, श्रम कानूनों को बदलने, मजदूरों को बढ़े दर पर मजदूरी मिले इन सब विषयों पर गंभीरता से कार्य किया है।
राज्य में नियमित तौर पर होते उपचनाव और अगले कुछ महीनों में लोक सभा चुनाव को देखते हुए भी
सरकार प्रवासी मजदूरों के वोट, तकनीकि शिक्षा प्राप्त करते छात्र और संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के वोट से अछूती नहीं रहना चाहेगी। राज्य में लोक सभा चुनाव के दौरान हेमंत सरकार के कार्यकाल में हुए कार्य और विफलता ही चुनावी मुद्दा बनेंगे।
मुख्यमंत्री सारथि योजना को भी इसी कड़ी में देखा जा रहा है। सरकार इस योजना के जरिए अपने पुराने वादे जिसमें युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही गई थी को भुनाना चाहेगी। मुख्यमंत्री सारथि योजना इसे पूरा करने में सहायक साबित होगी।
राज्य में बदलते चुनावी समीकरणों के साथ मंत्री सत्यानंद भोक्ता भी अपने लिए राजनीतिक जमीन की तलाश में है। वह लोक सभा चुनाव में भी अपना भाग्य आजमा सकते है। सरकार के सभी प्रमुख योजनाओं में सरकार द्वारा जिले को प्रमुखता देना काफी कुछ इशारा करता है।